तुम लाए कपड़े
और सब नंगे हो गए
तुमने कहा
पहन कर इसे हम सभी
सभ्य सुसंस्कृत हो जाएंगे
सब बर्बर हो गए
फिर तुमने कहा
अच्छा ऐसे नहीं ऐसे पहनो
इतना नहीं इतना पहनो
ऐसा पहनो वैसा पहनो
पर हमारे हिसाब से पहनो
जिसे आसानी से उतारा जा सके
चाहे घर हो संसद हो या हो सड़क
कपड़े से तुम कितना खेलते हो
बंद कमरे में नंगा होओगे खुद
और स्त्री को कर दोगे नंगा
कहोगे यह नंगापन नहीं प्रेम है
फिर तुम्हीं मर्यादा संस्कृति की रक्षा में
किसी स्त्री को कर दोगे खाप में नंगा
कहोगे उसका परिवार था ही इस लायक
तुमने यह भी कहा
कपड़े से कुछ नहीं छुपता
इंसान विचारों से होता है नंगा
इस तरह तुम
सामंती लैंगिक क्रूरता से
छुपाते रहे नंगापन
औद्योगिक घरानों की सांठगांठ से
जो मेहनत की रक्त में
कपड़े बुन रहे थे
तुम करते हो भेद कपड़े से
कौन कितना कमाता है
किसकी हैसियत कितनी है
वह विकसित है कि अविकसित है
कपड़े में लिपटा व्यक्ति इंसान नहीं
अमीर है या गरीब है
वह नर है कि मादा है
उसकी जाति क्या है
उसका धर्म क्या है
कौन करेगा यह कनफेशन
कि जब तक तुम्हारे कपड़े नहीं आए थे
कोई नंगा नहीं था
(2 ) तुम लाए कपड़े
और सब नंगे हो गए
तुमने कहा
पहन कर इसे हम सभी
सभ्य सुसंस्कृत हो जाएंगे
कहोगे यह नंगापन नहीं प्रेम है
फिर तुम्हीं मर्यादा संस्कृति की रक्षा में
किसी स्त्री को कर दोगे खाप में नंगा
कहोगे उसका परिवार था ही इस लायक
और सब नंगे हो गए
तुमने कहा
पहन कर इसे हम सभी
सभ्य सुसंस्कृत हो जाएंगे
सब बर्बर हो गए
फिर तुमने कहा
अच्छा ऐसे नहीं ऐसे पहनो
इतना नहीं इतना पहनो
ऐसा पहनो वैसा पहनो
पर हमारे हिसाब से पहनो
जिसे आसानी से उतारा जा सके
चाहे घर हो संसद हो या हो सड़क
कपड़े से तुम कितना खेलते हो
बंद कमरे में नंगा होओगे खुद
और स्त्री को कर दोगे नंगा
कहोगे यह नंगापन नहीं प्रेम है
फिर तुम्हीं मर्यादा संस्कृति की रक्षा में
किसी स्त्री को कर दोगे खाप में नंगा
कहोगे उसका परिवार था ही इस लायक
तुमने यह भी कहा
कपड़े से कुछ नहीं छुपता
इंसान विचारों से होता है नंगा
इस तरह तुम
सामंती लैंगिक क्रूरता से
छुपाते रहे नंगापन
औद्योगिक घरानों की सांठगांठ से
जो मेहनत की रक्त में
कपड़े बुन रहे थे
तुम करते हो भेद कपड़े से
कौन कितना कमाता है
किसकी हैसियत कितनी है
वह विकसित है कि अविकसित है
कपड़े में लिपटा व्यक्ति इंसान नहीं
अमीर है या गरीब है
वह नर है कि मादा है
उसकी जाति क्या है
उसका धर्म क्या है
कौन करेगा यह कनफेशन
कि जब तक तुम्हारे कपड़े नहीं आए थे
कोई नंगा नहीं था
I.A. Richards’s – A Figurative Language
Scientific study :-
(1) Words
Kapde and Naange means wearing clothes and nudity both are contrast, so this
first question arise when we read this poem as a scientific way.
और सब नंगे हो गए
तुमने कहा
पहन कर इसे हम सभी
सभ्य सुसंस्कृत हो जाएंगे
Which two person talk with each other?
(3) Why clothes used in various way?
(4) As a feministic view also we can see, at
that time we assume that the speaker of this poetry is woman.
Emotive Study :-
(1) The form of the poem is satire .
(2) Ex of some lines like: -
कहोगे यह नंगापन नहीं प्रेम है
फिर तुम्हीं मर्यादा संस्कृति की रक्षा में
किसी स्त्री को कर दोगे खाप में नंगा
कहोगे उसका परिवार था ही इस लायक
In which myth of Sita from Ramayana and
myth of Draupadi from Mahabharata used .
(4) At some point the poem is like the voice
of “ AAM AADMI” (middle class people) against the political leaders or parties.
(5) The
concept of movie PK directed by Rajkumar Hirani described the concept of
clothes very well.
Be transparent is important.
So, when we study A Figurative Language ,
specially in this poem at that time we come to know that how Nature V/S Culture
and language V/S Clothes portray.
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